सुख-दुख के फेरों में उलझा था जब मैं, उन्ही फेरों का समष्टि सार बन आई तुम मेरे मन की तरंगों में। सुख-दुख के फेरों में उलझा था जब मैं, उन्ही फेरों का समष्टि सार बन आई तुम मेरे म...
मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन। मृत्यु ऐसा कड़वा सच जिसे स्वीकारना मुश्किल नकारना तो है नामुमकिन।
आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये आज कविता सरल सहज नहीं उसने अपने रंग, चलन, ढब बदल लिये
उस शुतुरमुर्ग की तरह, जो अपनी जान बचाने के लिए धरती में सर छिपा लेता है। उस शुतुरमुर्ग की तरह, जो अपनी जान बचाने के लिए धरती में सर छिपा लेता है।
नीयत बदलती, इंसानियत नहीं। नीयत बदलती, इंसानियत नहीं।
न सारथी न रथ योद्धा चला अनन्त पथ। न सारथी न रथ योद्धा चला अनन्त पथ।